आत्म चिंतन
निर्धन लोगों को आत्म चिंतन करना चहिए कि वे निर्धन क्यों हैं। आपकी निर्धनता में आपके मन का भी बड़ा योगदान है। यदि आप अपने विचार ही भिखारियों जैसे रखेंगे तो भिखारी ही बन जाएंगे। जो सदा असफलता के सम्बन्ध में ही सोचता है, वह सदा असफल ही रहता है। निर्धनता से दुःखी और परेशान रहने वाला व्यक्ति संकटों की कल्पना कर लेता है। अभाव से आदमी में हीन वर्त्तियों क प्रादुर्भाव होता है। आत्मविश्वास न होने से हीन भावना और भी दृढ़ होती जाती है। जिन्हें अपनी कार्यक्षमता में ही विश्वास नहीं, उनमें कार्यक्षमता कहाँ से आएगी ?
Poor people should introspect why they are poor. Your mind also has a big contribution in your poverty. If you keep your thoughts like beggars, then you will become a beggar. The one who always thinks about failure, he always remains unsuccessful. A person who is sad and troubled by poverty imagines the troubles. Due to lack, there is an outbreak of inferior habits in a man. Due to lack of self-confidence, the inferiority complex becomes stronger. Where will the efficiency come from those who do not believe in their efficiency?
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यज्ञ द्वारा सुख की प्राप्ति ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका के वेद विषय विचार अध्याय में महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वर्णित किया है कि यज्ञ में जो भाप उठता है, वह वायु और वृष्टि के जल को निर्दोष और सुगन्धित करके सब जगत को सुखी करता है, इससे वह यज्ञ परोपकार के लिए होता है। महर्षि ने इस सम्बन्ध में ऐतरेय ब्राह्मण का प्रमाण देते हुए लिखा है...