व्यावहारिक ज्ञान
व्यावहारिक ज्ञान देने के लिए विद्यालय में अनेक गतिविधियाँ होती हैं। उन पाठ्येतर गतिविधियों के द्वारा बालक व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करता रहता है। खेल-कूद, संस्कृति, साहित्य, पर्यटन, प्रकृति-निरीक्षण संबंधी अनेक गतिविधियाँ बालकों में व्यवहारिकता कौशल लाती है, पर स्कूल में जो बात पुस्तकीय शिक्षा के लिए लागु होती है; वह व्यावहारिक ज्ञान के लिए भी लागू होगी। विद्यालय के अध्यापक छात्रों के प्रति व्यक्तिगत ध्यान नहीं दे पाते हैं। इस कारण अनेक झिझक वाले छात्र गतिविधियों में भाग नहीं ले पाते। ऐसे बच्चे व्यवाहरिक धरातल पर शून्य बने रहते हैं; चाहे वे पुस्तकीय ज्ञान में कितने ही कुशल क्यों न हों!
There are many activities in the school to impart practical knowledge. Through those extra-curricular activities, the child continues to acquire practical knowledge. Many activities related to sports, culture, literature, tourism, nature-observation bring practical skills in children, but what is applicable to book education in school; The same would apply to practical knowledge. School teachers are unable to give individual attention to the students. Because of this many hesitant students are unable to participate in the activities. Such children remain void on the practical plane; No matter how proficient they may be in book knowledge!
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यज्ञ द्वारा सुख की प्राप्ति ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका के वेद विषय विचार अध्याय में महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वर्णित किया है कि यज्ञ में जो भाप उठता है, वह वायु और वृष्टि के जल को निर्दोष और सुगन्धित करके सब जगत को सुखी करता है, इससे वह यज्ञ परोपकार के लिए होता है। महर्षि ने इस सम्बन्ध में ऐतरेय ब्राह्मण का प्रमाण देते हुए लिखा है...