वृक्षारोपण - पुनीत कर्तव्य
वृक्षारोपण करना हमारा पुनीत कर्तव्य बनता है। जितना अधिक हम इस धरा को इनकी हरी चुनार औढ़ा सकें, उतना ही हमारे लिए हितकर होगा। गायत्री परिवार का 'पर्यावरण संरक्षण एवं हरीतिमा संवर्द्धन' कार्यक्रम इस दिशा में एक अनुकरणीय सृजनात्मक अभियान है। देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा वृक्षारोपण क्षेत्र में एक अभिनव प्रयास करते हुए हर स्नातक को शिक्षा प्राप्त करने के साथ पाँच वृक्षों के रोपण की शपथ दिलाई जाती है। यह एक अच्छी पहल है, जिसका यदि हर विश्वद्यालय अनुकरण कर सके तो यह सामूहिक रूप में एक बहुत बडा कार्य साबित होगा।
It is our sacred duty to plant trees. The more we can make this earth their green choice, the more it will be beneficial for us. Gayatri Parivar's 'Environmental Protection and Haritima Promotion' program is an exemplary creative campaign in this direction. Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, making an innovative effort in the tree plantation sector, takes a pledge to plant five trees along with getting education for every graduate. This is a good initiative, which if every university can emulate, then it will prove to be a big task collectively.
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यज्ञ द्वारा सुख की प्राप्ति ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका के वेद विषय विचार अध्याय में महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वर्णित किया है कि यज्ञ में जो भाप उठता है, वह वायु और वृष्टि के जल को निर्दोष और सुगन्धित करके सब जगत को सुखी करता है, इससे वह यज्ञ परोपकार के लिए होता है। महर्षि ने इस सम्बन्ध में ऐतरेय ब्राह्मण का प्रमाण देते हुए लिखा है...