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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज मन्दिर चान्द, जिला- छिन्दवाड़ा" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित छिन्दवाड़ा जिले में एकमात्र मन्दिर है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज मन्दिर चान्द के अतिरिक्त छिन्दवाड़ा जिले में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Mandir Chand, Chhindwara is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Mandir Chand, Chhindwara is the only Mandir controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Chhindwara. We do not have any other branch or Centre in Chhindwara District. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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भारतीय संस्कृति 
संस्कृति का कार्य मनुष्य में एक सामाजिक चेतना और सामाजिक नैतिकता का निर्माण करके उसकी वैचारिक योग्यताओं और प्रक्रिया को संगठित करना है, लेकिन सांस्कृतिक चेतना और क्रांतिकारी मतवाद के बीच का संबंध अनुकूल नहीं होता। राजनीति का छल-प्रपंच भी उसी हद तक संस्कृति को जीवित रहने का मौका देता है जो हद उस राजनीति की ताकत पर स्वयं उसके कमजोर रहने से पैदा होती है, लेकिन जहाँ राजनीति ही राजनीति हो, वहाँ के लिए कोई जगह नहीं बचती। कहना न होगा कि उत्तर संस्कृति से मुक्त होने के लिए हमें भारतीय संस्कृति की धीमी आँच में तपना होगा। साहित्यकार भी जवाबदेही से भागकर खतरे से बचने के लिए छिपकर तथा मात्र आलोचना करने में आनंदित होकर साहित्य का भला नहीं कर सकता। समय के प्रवाह में जो गुजर गया, उसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता, लेकिन जो यथार्थ सामने है, उसके अनुसार तो कुछ किया जा सकता है। वैसे भी साहित्य को विध्वंस से बचाने के लिए रचनात्मक प्रयास होते रहे हैं और जारी भी रहेंगे।

The function of culture is to form a social consciousness and social morality in man and organize his ideological abilities and process, but the relationship between cultural consciousness and revolutionary ideology is not favorable. The shenanigans of politics also give a chance to the culture to survive to the extent that it is born out of its own weakness on the strength of that politics, but where politics is politics, there is no place left for it. Needless to say that in order to be free from the North culture, we have to undergo the slow fire of the Indian culture. Even a litterateur cannot do good to literature by running away from responsibility, hiding to avoid danger and taking pleasure in merely criticizing. Nothing can be done for what has passed in the flow of time, but according to the reality which is in front, something can be done. Anyway, constructive efforts have been made to save literature from destruction and will continue.

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  • यज्ञ द्वारा सुख की प्राप्ति

    यज्ञ द्वारा सुख की प्राप्ति ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका के वेद विषय विचार अध्याय में महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वर्णित किया है कि यज्ञ में जो भाप उठता है, वह वायु और वृष्टि के जल को निर्दोष और सुगन्धित करके सब जगत को सुखी करता है, इससे वह यज्ञ परोपकार के लिए होता है। महर्षि ने इस सम्बन्ध में ऐतरेय ब्राह्मण का प्रमाण देते हुए लिखा है...

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