स्वेच्छाचार की बाढ़
पाश्चात्य देशों में स्वेच्छाचार की बाढ़ आने से परिवार संस्था टूट गई। बूढ़ों को सरकारी वृद्धाश्रमों में आश्रय लेकर मौत के दिन पूरे करने पड़ते हैं। पति-पत्नी के बीच तनिक-सा मनमुटाव होते ही तालक ले लिए जाते हैं। बिना विवाह के न स्त्रियाँ रह पाती हैं और न पुरुष। ऐसी दशा में बच्चों को जहाँ-तहाँ छोड़कर नया घर बसाने की उतावली पड़ती है। ऐसे बच्चे, अनाथालयों में पल तो जाते हैं, पर अभिभावकों की स्वार्थपरता और ह्रदयहीनता उन्हें आजीवन खटकती रहती है। फलतः वे अनेक दुर्गुणों और मानसिक रोगों के शिकार हो जाते हैं। ऐसे परित्यक्त बालकों की संख्या उन देशों में निरंतर बढ़ती जाती है।
Due to the flood of autocracy in the western countries, the family institution was broken. Old people have to take shelter in government old age homes to complete their days of death. Talaq is taken as soon as there is a slight estrangement between husband and wife. Neither women nor men can live without marriage. In such a situation, there is a hurry to leave the children and set up a new home. Such children are brought up in orphanages, but the selfishness and heartlessness of the parents keep on haunting them for life. As a result, they become victims of many vices and mental diseases. The number of such abandoned children continues to increase in those countries.
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यज्ञ द्वारा सुख की प्राप्ति ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका के वेद विषय विचार अध्याय में महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वर्णित किया है कि यज्ञ में जो भाप उठता है, वह वायु और वृष्टि के जल को निर्दोष और सुगन्धित करके सब जगत को सुखी करता है, इससे वह यज्ञ परोपकार के लिए होता है। महर्षि ने इस सम्बन्ध में ऐतरेय ब्राह्मण का प्रमाण देते हुए लिखा है...