सद्गुणों की अभिव्यक्ति
शुभ कर्म हमारे सद्गुणों की अभिव्यक्ति हैं, जबकि अशुभ कर्म हमारे दुर्गुणों की। हाँ, इतना जरूर है कि इन कर्मबीजों को फलित होने में समय जरूर लगता है। यह समय कर्मबीजों की अंकुरणता व अंतश्चेतना की उर्वरता पर निर्भर करता है। समय पर सुफल एवं कुफल सुनिश्चित हैं। इस सत्य से अनजान व्यक्ति जब अनीति, जोड़-तोड़ या फिर पापकर्मों की राह पर चलकर कोई सफलता पाता है तो वह भूल जाता है कि दरअसल वह अपने ही किन्हीं पूर्व सत्कर्मों को भोग रहा है। यदि उसने कोई गलत काम न किए होते, तब भी उसे सफलता मिलती। हो सकता है कि इसमें थोड़ी देर लग जाती।
Good deeds are the expression of our virtues, whereas bad deeds are the expression of our bad qualities. Yes, it is absolutely necessary that these karma seeds definitely take time to bear fruit. This time depends on the germination of the karmic seeds and the fertility of the conscience. Timely success and failure are assured. When a person ignorant of this truth attains success by following the path of immorality, manipulation or sinful deeds, he forgets that he is actually enjoying some of his own past good deeds. Even if he had not committed any wrongdoing, he would have been successful. May be it will take a while.
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यज्ञ द्वारा सुख की प्राप्ति ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका के वेद विषय विचार अध्याय में महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वर्णित किया है कि यज्ञ में जो भाप उठता है, वह वायु और वृष्टि के जल को निर्दोष और सुगन्धित करके सब जगत को सुखी करता है, इससे वह यज्ञ परोपकार के लिए होता है। महर्षि ने इस सम्बन्ध में ऐतरेय ब्राह्मण का प्रमाण देते हुए लिखा है...