Dhubiya Ryt | Dhubiya Ryt - Arya Samaj Mandir Marriage Helpline Conductor Chhindwara for Andiya - Batwani Chari - Diwara - Gunglai Seoni - Gondia Maharashtra
गर्भवती माता जैसा खाती हैं, पीती है सोचती, देखती व सुनती है -उन सबका प्रभाव माता के गर्भस्थ बच्चे पर पड़ता हैं। वास्तव में यहीं समय मानव के निर्माण का महत्वपूर्ण समय होता है जो मां के आचरण पर ही निर्भर करता है। अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें - क्षेत्रीय कार्यालय (चान्द - छिन्दवाड़ा) ------------------------------------------------------------------चान्द - छिन्दवाड़ा में आर्यसमाज में विवाह हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी
चान्द - छिन्दवाड़ा में आर्यसमाज द्वारा सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं। अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट द्वारा वैवाहिक जोड़ों की कानूनी सुरक्षा (Legal Sefety) एवं पुलिस संरक्षण (Police Protection) हेतु नियमित मार्गदर्शन (Legal Advice) दिया जाता है।1. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
2. वर-वधु दोनों को ट्रस्ट द्वारा निर्धारित प्रारूप में घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे।
3. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो।
4. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो तथा वे हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं।
5. विधवा / विधुर होने की स्थिति में पति / पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है।
6. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए।शादी-माफ़िया दलालों से सावधान - छिन्दवाड़ा, भोपाल, इन्दौर, रायपुर, दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, जयपुर, लखनऊ, चण्डीगढ़, मुम्बई, हैदराबाद आदि बड़े शहरों में वकीलों एवं दलालों के शादी-माफिया के रूप में ऐसे अनेक गिरोह सक्रिय हैं, जो भारत के सभी शहरों में इण्टरनेट, सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों के माध्यम से Arya Samaj, Arya Samaj Mandir, Arya Samaj Marriage, Same Day Court Marriage, Legal Marriage, Love Marriage, Head Office और प्रादेशिक कार्यालय तथा इससे मिलते जुलते नामों से आकर्षक विज्ञापन देकर भोले-भाले युवक-युवतियों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें गुमराह कर रहे हैं। Fake Location Map बनाने तथा किसी भी शहर में किसी भी मन्दिर के Location Map पर अपना illegal photo एवं illegal Mobile Phone नम्बर डालने में इनको महारत हासिल हैं। प्रेम विवाह के इच्छुक युवक-युवतियाँ इनके जाल में आसानी से फँस जाते हैं। सही मार्गदर्शन के अभाव में ऎसे युवक-युवतियाँ गलत रास्ते पर भी चले जाते हैं। बाद में पछताने के अलावा इनके पास कुछ नहीं बचता।
आर्यसमाज विवाह करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। विवाह सम्बन्धी जानकारी या पूछताछ के लिए आप मो.- 8989738486 पर श्री देव शास्त्री से निसंकोच बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक है।
युगलों की सुरक्षा - प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके।
विशेष सूचना- इण्टरनेट, सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों में प्रसारित हो रहे अनेक फर्जी वेबसाइट एवं आकर्षक विज्ञापनों को ध्यान में रखते हुए जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो।
"आर्यसमाज संस्कार केन्द्र, चान्द - छिन्दवाड़ा" अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र, चान्द" छिन्दवाड़ा में ट्रस्ट द्वारा संचालित एकमात्र आर्यसमाज संस्कार केन्द्र है। छिन्दवाड़ा में इसके अतिरिक्त ट्रस्ट का अन्य कोई मन्दिर या शाखा अथवा संस्कार केन्द्र नहीं है। आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बडे भवन, हॉल या चमकदार ऑफिस को देखकर गुमराह और भ्रमित ना हों।
(समय - प्रातः 10 बजे से सायं 8 तक)
आर्य समाज संस्कार केन्द्र
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
छिन्दवाड़ा शाखा
वार्ड न. 7, नगर परिषद के पास, चान्द
जिला- छिन्दवाड़ा (मध्य प्रदेश)
हेल्पलाइन : 8120018052, 9009662310
www.aryasamajonline.co.in
Regional Office (Chand - Chhindwara)
Arya Samaj Sanskar Kendra
Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Chhindwara Branch
Ward No. 7, Near Nagar Parishad
Chand, Chhindwara (Madhya Pradesh)
Helpline : 8120018052, 9009662310
www.allindiaaryasamaj.com राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर अन्नपूर्णा
नरेन्द्र तिवारी मार्ग
बैंक ऑफ़ इण्डिया के पास
दशहरा मैदान के सामने
बैंक कॉलोनी, इन्दौर (म.प्र.) 452009
फोन : 0731-2489383, 9302101186
www.aryasamajindore.com
National Administrative Office
Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Arya Samaj Mandir Annapurna
Narendra Tiwari Marg
Near Bank of India
Opp. Dussehra Maidan
Annapurna Indore (M.P.) 452009
Tel. : 0731-2489383, 9302101186
www.aryasamajindore.org
मानव-निर्माण करना, अथवा मानव को मानव बनाना वैदिक-धर्म का प्रधान अंग हैं। हमारे जीवन में शिक्षा और संस्कारों का गहरा संबन्ध होता है। जब बालक पैदा होता है तो पिछले जन्मों के कर्मानुसार उसके आत्मा में कई प्रकार के संस्कार विद्यमान रहते हैं, उत्तम शिक्षा मिलने पर उसका मन शुद्ध हो जाता है। यदि ऐसा न हो तो उसका चित्त और मलिन हो जाता हैं, अतः यह जरूरी हैं - कि बालक की उचित शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाये।
जन्म लेने के पश्चात पांच वर्ष की आयु तक ही मां वास्तव में बालक की गुरु होती है। ये पांच वर्ष भी निर्माण की दृष्टि से बड़े ही महत्वपूर्ण होते हैं। बालक कैसे-बैठे उठे, चले आचरण करें, यह सब माता पर निर्भर करता हैं। यदि माता सुशिक्षित है तो वह इन पांच वर्षों में ही बालक को सुपथ पर चला देती हैं। इस आयु में माता के अतिरिक्त बालक का निर्माण कोई नहीं कर सकता। माता के ह्रदय में बालक के लिये अगाध प्रेम होता है। बालक काला, कुरूप, अपंग, कैसा भी क्यों न हो, माता के ह्रदय में इसके लिए प्रेम की कोई सीमा नहीं होती। आज कल जो माता-पिता इस आयु में बालक को नौकर- घर के कर्मचारियों आदि पर के हवाले करके स्वयं कामों में लगे रहते हैं या स्वयं सैर-सपाटे करते-फिरते हैं वे बालक का जीवन ही बिगाड़ देते हैं।
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यज्ञ द्वारा सुख की प्राप्ति ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका के वेद विषय विचार अध्याय में महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वर्णित किया है कि यज्ञ में जो भाप उठता है, वह वायु और वृष्टि के जल को निर्दोष और सुगन्धित करके सब जगत को सुखी करता है, इससे वह यज्ञ परोपकार के लिए होता है। महर्षि ने इस सम्बन्ध में ऐतरेय ब्राह्मण का प्रमाण देते हुए लिखा है...